Cotton Farming: घटती कपास की बुवाई के बीच इस साल राज्य में 2 लाख हैक्टेयर क्षेत्र पर बुवाई हेतु अधिकारियों की तैयारी
Cotton Farming: कपास की बुवाई हेतु इस साल बुवाई से पहले अधिकारियों ने सम्पूर्ण तैयारिया कर ली है, बीते तीन सालों से लगातार कपास की फसल में बीमारियों के चलते खराब हुई है, जिसका असर कपास की बुवाई पर हुआ है एवम् लगातार बुवाई का क्षेत्र घट रहा है।
लगातार घटती बुवाई क्षेत्र को दोबारा राज्य में रकबा बढ़ाने हेतु अधिकारियो द्वारा प्रयास किया जा रहा है। इस हेतू राज्य सरकार अनेक कदम उठा रही है, जैसे किसानों को अनुमोदित किस्मों के बीज खरीद की सलाह एवम् सबसिडी पर बीज उपलब्ध करवाना। दूसरी ओर सफेद मक्खी के प्रकोप को कम करने हेतु ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती पर प्रतिबन्ध लगाना आदि शामिल हैं।
पंजाब राज्य में अधिक कपास की खेती (Cotton farming ) हेतु सरकार द्वारा पुरी तैयारिया कर ली गई है, इस हेतू हाल ही में कृषि निदेशक श्रीं जसवंत सिंह द्वारा जानकारी देते हुए कहा कि विपणन वर्ष 2024-25 हेतु सरकार द्वारा 2 लाख हेक्टेयर भूमि पर इस साल कपास की बुवाई करने का लक्ष्य रखा गया है जिसकी पूरी तैयारी विभाग द्वारा कर ली गई है।
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हाल ही में हिंदुस्तान टाईम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक बात करे तो कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ ने कहा है कि प्रदेश में 15 मई तक कपास की बुवाई का कार्य पुरा करने की सलाह दी गई है। बीते 3 सालो से पंजाब राज्य में कपास की बुवाई का आंकड़े लगातार गिर रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार साल 1021 में 2.52 लाख हेक्टेयर, 2022 में 2.48 लाख हेक्टेयर, वही साल 2023 में यह गिरकर 1.73 लाख हेक्टेयर तक आ गया है।
वह निदेशक ने कहा है कि साल 2023 में कृषि विभाग ने 2024 25 के खरीफ सीजन हेतु कपास की फसल में गुलाबी वॉलवर्म संक्रमण से निपटने हेतु मॉम आधारित फॉर्मूलेशन स्पेसलाइज्ड फेरोमोन और ल्यूर एप्लीकेशन टेक्नोलॉजी पर सब्सिडी देने की योजना भी बनाई है, ताकि उच्च लागत की बजाय कम लागत पर रोग को नियंत्रित किया जा सके। इसका प्रमुख उद्देश्य घाटे में चल रही कपास उत्पादकों के बीच चावल की खेती को रोकने हेतु विश्वास दिलाना प्रमुख उद्देश्य है।